सपने में नवरात्रि उत्सव देखना माँ दुर्गा का आश्रिवाद….

सपने में नवरात्रि उत्सव देखना sapne me navratri utsav dekhna-नमसकार दोस्तों आपका स्वागर है हमारी रहस्य भरी सपने की दुनिया में । सायद ही कोई इंसान होगा जिसे सपने ना आते हो , फिर फर्क नहीं पड़ता है की वो सपनों पर यकीन करें या ना करें । ज़्यादातर सपने हमारी जीवन की घटना पर आधारित होते है। हम पिछले दिनों में जो कुछ सोच रहे है उससे संबन्धित हमे कई प्रकार के सपने आते है। जिसमे अच्छे और बुरे सामील होते है। कई तो इतने डरावने होते है की सपने में हमारा शरीर पसीने से लथपथ हो जाता है। दोस्तों सपने का अर्थ स्व्पन शास्त्र के अनसूयर होता है। जिसका मुख्य आधार संकेतात्मक होता है। जैसे हम सपने में मोबाइल देखते है। तो ये सपना जुड़ने का संकेत देता है। जबकि हमे स्व्पन में मोबाइल का नाम नहीं मिलेगा। लेकिन उसके ही सम्मान जुडने वली चीज का एक संकेतात्मक अर्थ मिलेगा। जिसके आधार पर हम सपने का अर्थ बना सकते है।

दोस्तों आज हम बात करेंगे की सपने में नवरात्री उत्सव देखना इसका क्या मतलब हो सकता है। या सपने में नवरात्री देखना कैसा होता है। नवरतरी में लगभग सभी हिन्दू लोग 9 दिनों तक माँ शेरावली का उपवास रखते है। हर दिन अलग अलग रंग के कपड़े पहनते है। मात्रा की पूजा की जाता है। हर दिन माँ दुर्गा के नो रूपों को पूजा जाता है। नवरातरा के अंत में नो अविवाहित लड़कियों को भोजन कराया जाता है। ऐसा माना जाता है की नो लड़कियां नो देवियों के रूप में होती है। इसके अलावा कई लोगों को नवरात्री से संबन्धित कई सपने दिखाई देते है जैसे – सपने में माता दुर्गा की पूरा करते देखना, सपने में खुद को उपवास करते देखना । इस प्रकार के कई सपने देखने को मिलते है। तो चलिये दोस्तों एक-एक सपने को विस्तार से जानने की कौशिश करते है।

सपने में नवरात्री उत्सव देखना कैसा होता है ?

सपने में अगर आपको नवरात्री उत्सव दिखाई देता है तो ये सपना हमारे लिए बहुत ही अच्छा सपना माना जाता है। ये सपना हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं माना जाता है। ये सपना इस बात का संकेत देता है की आने वाले दिनों में हमारे घर में ढेर सारी खुशियाँ आने वाली है। जिसके चलते आपको कोई ऐसी खबर सुनने को मिल सकती है जिसका आप वर्षों से इंतजार कर रहे थे। आपने माँ दुर्गा से जो चीज मांग रखी है वो चीज आपको जल्द ही मिल जाएगी। यानी आपकी सरी मन्नत पूर्ण हो जाएगी। अगर आपके पास अपना घर नहीं है तो इस सपने के बाद आपका अपना घर होगा। इसके साथ ही ये सपना कारोबार में सफलता मिलने का संकेत भी देता है। अतः ये सपना आपके लिए आती शुभ संकेत देता है।

सपने में नवरात्री उत्सव देखना कैसा होता है ?

सपने में नवरात्री की नौ देवियाँ दिखाई देना

दोस्तों नवरात्री के उत्सव पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर रोज एक रूप की पूजा की जाती है। जिनमे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सामील है। अगर आपको सपने में माँ दुर्गा के नौ रूप एक साथ दिखाई देते है। या आपके द्वार पर माँ दुर्गा के नौ रूप को एक साथ देखते है तो ये सपना हमारे लिए बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। इस प्रकार के सपने का अर्थ है की आने वाले दिनों में आप पर माँ दुर्गा की असीम कृपा होने वाली है। अगर आपका लंबे समय से काम अटका पड़ा है तो इस सपने के बाद आपका वो काम बन जाएगा और वर्तमान समय में चल रहे सारे संकट दूर हो जाएगे।

अगर आप सपने में दुर्गा के नौ रूपों में नौ कन्या को देखते है तो ये सपना इस बात का संकेत देता है की आने वाले दिनों में आपको माँ दुर्गा का सानिधय प्राप्त होने वाला है। जिसके चलते आपको माँ दुर्गा की समीपता मिलेगी।

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class="wp-block-heading">सपने में डांडिया खेलते हुए देखना

दोस्तों हिन्दू लोगों का पवित्र उत्सव है । नवरातरा के चलते हुए माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। पूजा के बाद पंडाल में गरबा और डांडिया खेला जाता है। महिलाए और पुरुष रंग-बिरंगी पोशाक पहनकर और दोनों हाथों में छोटी दांडी लेकर घूम-घूम कर दो लोग आपस में डांडी टकराते है और माँ दुर्गा का भजन भी करते है। बात करते है सपने की । अगर आपको सपने में माँ दुर्गा के उत्सव पर डांडिया खेलते हे तो ये सपना हमारे लिए अच्छा संकेत माना जाता है। इस प्रकार के सपने का मतलब है की आने वाले दिन आप खुशी से व्यतीत करने वाले है। अगर आप मानसिक पीड़ा से गुजर रहे है तो जल्द ही आपको इस से मुक्ती मिलेगी। अगर आप खुद को अकेले महसूस कर रहे है तो आपको कुछ सर्जनात्मक करना होगा। ताकी आपका अकेलापन दूर हो सके।

सपने में नवरात्री के उपवास करते हुए देखना

आप सपने में खुद को नवरात्री के उपवास करते हुए देखते है तो ये सपना आपके लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है इस सपने का अर्थ है की आने वाले दिनों में आपको जीवन ली वास्तविक खुशी मिलने वाली है। आप आध्यात्मिक जीवन से जुडने वाले है। अगर आपके विचार शुस्ध नहीं है तो जल्द ही कापके विचारों में शुद्ता आ जाएगी। इसके साथ ही ये सपना आंतरिक मन के द्वेष मिटने का संकेत भी देता है।

अगर आपको बात-बात पर गुस्सा आता है तो इस सपने के बाद आपका मन शांत रहना शुरू हो जाएगा। आपके मनी जिनती भी दुर्बलता है वो अपने आप ही खतम हो जाएगी। दोस्तों अतः आपको इस सपने से खुश होना चाहिए।

सपने में नवरात्रि उत्सव में जाते हुए देखना

आप सपने में खुद को नवरात्रि उत्सव में जाते हुए देखते है तो ये सपना आपके लिए अति शुभ संकेत देता है। ये सपना बताता अहि की आने वाल दिनों में आप अपना ज़्यादातर समय अपने प्यारे दोस्तों के साथ बिताने वाले है। आप अपना समय दूसरों के लिए खर्च कर देंगे जिसका आपको बड़ा लाभ देखने को मिलेगा।

सपने में माँ दुर्गा का मंदिर देखना

सपने में अगर आपको दुर्गा माँ का मंदिर दिखाइ देता है तो ये सपना आपके लिए बहुत ही अच्छा संकेत माना जाता है। इस प्रकार के सपने का अर्थ है की आप वर्तमान समय में जिस व्यक्ति या देवता को भुला चुके है। उनको एक बार फिर से याद करना होगा। अगर आप खुद को माँ दुर्गा के मंदिर में जाते हुए दिखाई देते है तो ये इसका अर्थ है की आपको इस सपने के बाद माँ दुर्गा की पाठ-पूजा प्रारम्भ कर देनी चाहिए। ताकी आपके सारे दोष दूर हो सके

सपने में नवरात्रि उत्सव के लिए पंडाल बनाते देखना

सपने में आप देखते है की नवरात्रि के दिन चल रहे होते है। आप पंडाल लगाने में हेल्प कर रहे होते है। आप माता का पंडाल लगाने में दिलो जान से मेहनत कर रहे है तो ये सपना आपके लिए अच्छा माना जाता है। इस प्रकार के सपने का मतलब है की आने वाले दिनों मीन आप सामाजिक और धार्मिक काम में अहम भूमिका निभाएगे। जिससे आपको आत्मिक मन की खुशी मिलेगी। इस सपने के बाद वो लोग भी आपकी बातों का समर्थन करने लग जाएगे । जो पहले आपकी बातों को फालतू मानते थे।

सपने में माँ दुर्गा की आरती होते हुए देखना

सपने में अगर आप किसी मंदिर या पंडाल में माँ दुर्गा की आरती करते हुए देखते है तो ये सपना आपके लिए बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। ये सपना इस बात का संकेत देता है की आने वाले दिनों में आपको संकटों से मुक्ती मिले वाली है। आप पर माँ दुर्गा की असीम कृपा होने वली है। जिस्के चलते ढेर सारी खुशियाँ आपके दरवाजे पर दस्तक देंगी । आप उन खुशियों में से केवल नो ही प्रकार की खुशी चुन पाएंगे।

नवरात्रि क्यो है इतनी विशेष? माता के नौ रूपों का वर्णन

नवदुर्गा सनातन धर्म में भगवती माता दुर्गा जिनह आदि शक्त , जगत जननी माँ जगदंबा भी कहा जाता है। नवरतरा के दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माँ दुर्गा का हर एक रूप पापों का विनास करने वाला है । माँ दुर्गा के नौ नाम एक संस्कृत के एक ही मंत्र में सामील है जो निम्न है-

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।

1 शैलपुत्री

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्‌।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

माता दुर्गा के पहले रूप को शैल पुत्री कहा जाता है । ये प्रारवटराज हिमालीय के घर पुत्री के रूप में उतपन होने के कारण इसना नाम शैल पुत्री है। इनकी पूजा प्रथम दिन होती है । इंका वाहन वृषभ है इसलैये इसे देवी रूपारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। इसके ड़ाए हाथ में त्रिशूल बाए हाथ में कमल है। इसे शती के नाम से भी जाना जाता है।

2 ब्रहमाचारिणी

दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला-कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

नवरातरा के दूसरे दिन पूजा की जाती है इस दिन साधक माँ के चरणों में खुद को लगते है । इसे तप का आचरण करने वाली कहा गया है। । माता के इन रूप ने भगवान शंकर को पाती के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इसलिए इसको तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से भी जाना जाता है।

3 चंद्रघटा

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

इसे माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति कहा गया है। इसकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन होते हैइस दिन विग्रह का पूजन किया जाता है। इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। इस दिन व्यक्ति को आलोकिक वस्तु के दर्शन होता है और अजीब ध्वनि सुनाई देती है। माता के इस रूप में घटता हुआ अर्ध चंद्र बना है इसलिए इसे अर्धचंद्र कहा गया है। इस रूप में माता का शरीर सोने की तरह चमक रहा होता है और देवी के सश हाथ है सभी हाथ में अस्त्र शस्त्र है । इस रूप में माता ने सिंह की सवारी कर राखी है इसके घंटे से सभी दानव काँपते है।

4 कूष्मान्डा

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥

दुर्गा माता के इस रूप की पूजा चोथे दिन की जाती है। इस दिन साधना करने वाले व्यक्ति का मन स्नाहट चक्र में स्थ्ति होता है। अपनी मंद हल्की हंसी के कारण अँड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी का नाम कुष्मांडा नाम पड़ा। ऐसा माना जाता है की जब सृष्टि की रचना हुई थी तब चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था बाद में माता ने ब्रह्मांड की रचना की इसलिए माता के इस रूप को सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया। इस देवी की आठ भुजाएँ है जिसमे कमंडल, धनुष, बान, कमाल , चक्र, कलश, गदा और अमृत पूर्ण व आठवे हाथ में सभी दिद्धियों और निधियों की प्रपती के लिए माला है।

5 स्कन्दमाता

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

माता के इस रूप की पूजा पांचवे दिन की जाती है, ये मोक्ष के द्वार खोलने वली परम सुखदाई है । ये माता समस्त भक्तो की इच्छा को पूर्ण करती है। इस माता की चार भुजाएँ है यह दायी तरफ ऊपर की तरफ स्कन्ध को गोद में पकड़े हुए है । नीचे वाली भुजा में कमाल एक हाथ में वरदमुदा में और नीचे वाली में कमाल पुष्प है। इस माता की कृपया से मूढ़ भी ज्ञानी बन जाता है । स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हे स्कंदमता नाम से जाना जाता है।

6 कात्यायनी माता

चंद्रहसोज्ज्वलकरा शार्दुलवरवाहन।
कात्यायनी शुभम दद्यादेवी दानव-घटिनी॥

माँ दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है । नवरातरा में इस माता की पूजा छठे दिन की जाती है। उस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थ्ति होता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का बहुत बड़ा योगदान है। एसी मान्यता है की इस दिन इस पूजा से बहकटों कोई बड़ी सहजता से अर्थ, धाम, कम और मोक्ष आदि फलों की प्रतप्ती होती है उसके साथी ही संताप, शोक, भाय और पाप आदि का खात्मा होता है।

कात्या गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती परामबा की उपासना की। उंकी इछा थी की उनको एक पुत्री की प्रपती हो। तभी माँ भगवान ने उनकी घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया । इसलिए ये माँ देवी कात्यायनी कहलाई।

7 कालरात्री

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

माँ दुर्गा का सातवी शक्ति है कालरात्री। नवरात्री में सातवे दिन इस माता के इस रूप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन सहसचार चक्र में स्थित होता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त शक्ति के समसत द्वार खुलने लगते है। । इस दिन आसुरी शक्तियाँ दूर भागने लगती है।

माता के इस रूप  में माता के शरीर का रंग काला होता है, उसका शरीर एक काल की तरह होता है इसकी बिखरे हुए बाल चेहरे पर तेज गुस्स और इस प्रकार ये राक्षसो के लिए काल रूपी होती है। इस माता की तीन आँख है और इसकी सांस के साथ ज्वाला नीलकलती है और माता गंदर्भ की स्वरी करती है। माता के हाथ में लोहे का कांटा , एक हाथ में खड़ग है। ऐसा माना जाता है की इस माता की उपासना करने पर ब्रहमंद के सारे दरवाजे खुल जात है और आपको सभी प्रकार की सिद्धियाँ मिलने लगती है । तमाम सारी आसुरी शक्तियाँ भयभीत होने लगती है। माता के इस रूप का समरण करने ये या माता के इस मंत्र से सारे दानव, दैतय,रक्षास , भूत-प्रेत सभी भागने लगते है।

8 महागौरी  

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥

आढ़वे दिन दुर्गा माता के महागौरी रूप की पूजा की जता है। नाम से ही स्पस्ट है की इसका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है इसकी उपमा शंख, चंद्र, और मुकुन्द के फूल से की गई है। आभूषण के साथ-साथ उन्होने सफ़ेद वस्त्र धरण किए हौ है इसलिए इसे श्वेतांबरा भी कहा गया है। इसके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू व तीसरा हाथ वर मुद्रा में है। इसका स्वभाव एकदम शांत है।

महगौरी ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर पसाया की इसलिए इसका शरीर काला पद गया। इसलिए भगवान शिव उंकी तपस्या से प्राषण्णहोकर उसके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया इसके बाद उनका रूप गौर वर्ण हो गया ही इसलिए वह महगौरी कहलाई। माता के इस रूप की पूजा करने से अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त होती है।

9 सिद्धिदात्री

सिद्धगन्धर्व-यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

ये माता दुर्गा का नौवा स्वरूप है।  माता के इस स्वरूप की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है। माता के इस रूप की पूजा करने के कारण सभी प्रकार की सीधीयां प्राप्त हो जाती है। दुर्गा माँ के इस स्वरूप में दाहिने हाथ में चक्र, ऊपर के हाथ में गधा, एक हाथ में शंख व दूसरे हाथ में कमल है फूल है। ये माता सिह की स्वारी करती है। नवरात्री में ये अंतिम देवी है और इस माता का प्रसिद्ध तीर्थ हिमाचल के नंदापर्वत पर है।

निष्कर्ष-दोस्तों आज हमने जाना की सपने में नवरात्री उत्सव देखना कैसा होता है। दोस्तों नवरात्रि उत्सव देखना शुभ संकेत माना जाता है। इससे संबन्धित सारे सपनों का अर्थ सकारात्मक है। दोस्तों आज की हमारी पोस्ट आपको कैसे लगी । अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी तो इस पोस्ट की लिंक को अपने दोस्तों के साथ शेर करें ताकी आपके दोस्त भी अपने सपने का वास्तविक अर्थ जान सके। अगर आपको इस पोस्ट में अपने सपने का अर्थ नहीं मिला तो आप हमे कमेंट बॉक्स में अपना सपना टाइप करके भेज सकते है। हम जल्द से जल्द आपके सपने का अर्थ बताने की कौशिश करेंगे

ध्नयवाद दोस्तों।

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