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    जीवन में सुख दुख का समय बराबर होता है, तो दुख का समय लंबा क्यों लगता है ?

    Rajiv guptaBy Rajiv guptaApril 13, 2025No Comments4 Mins Read
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    जीवन में दुखों का अंत कब होगा
    जीवन में दुखों का अंत कब होगा
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    दोस्तों आज के समय हर कोई दुखी है। जिसे पूछो वही कहता है । की मेरे जीवन में जीतने संकट है उतने किसी के जीवन में नहीं है। कोई दूसरों से दुखी है तो कोई खुद से दुखी है। वैसे दुख और सुख की कोई बड़ी परिषभा नहीं है। जो आदमी संतुष्ट है वह खुश है और जो इनशान असंतुष्ट है वो दुखी है। दोस्तों जब व्यक्ति में दुख की घड़ी आती है तो वो घड़ी बहुत ज्यादा लंबी लगती है। दुख के दिन बहुत धीरे धीरे चलते चलते है। जैसे समय की घड़ी अटक गई हो। इसके विपरीत हमारे जीवन में सुख का समय बहुत ही छोटा होता है। सुख का समय आया और कुछ ही दिनों में फिर से दुख आ जाता है।

    दोस्तो जिस प्रकर दिन और रात का समय बराबर होता है उसी प्रकार सुख और दुख का समय बराबर ही होता है। हम सुख के समय को समझ नहीं पाते है, हम सुख के समय को जाया कर देते है। इसलिए हमे सुख का समय छोटा लगता है। जबकि दुख के समय में हमारा ध्यान केवल दुख मात्र पर ही टीका रहता है। हमारा ध्यान इधर उधर नहीं भटकता है। जिसके कारण हमे दुख की घड़ी लंबी लगती है। हम दुख के समय में पूरा ध्यान दुख पर ही लगाते है। हमारा ध्यान इधर उधर नहीं जाता है।

    जीवन में सुख दुख का समय बराबर होता है, तो दुख का समय लंबा क्यों लगता है ?

    जब हमारा दुख का समय होता है तो हम उस समय लोगों से दुख को देखकर अपने आपको दुखी रखते है। हम हमारे सुख की तरफ ध्यान न देकर लोगों की ध्यान देते है। जिसके कारण हमारे पास सुख भोगने का समय है वो खराब हो जाता है। कई बार तो हम ऐसा करते है की जब हमारा दुख का समय चलता है तो हम दुखी होते है । जबकि उसके बाद हमारा सुख का समय आता है । तो हम अपने पुराने दुखों को याद करके दुखी हो जाते है।

    तो हमारे मन में श्वाल आता है की हम सूख और दुख का सम्पूर्ण आनंद कैसे लें। दोस्तों अगर आपको सम्पूर्ण सुख का आनंद लेना चाहते है । तो आपको ना तो भूतकाल में जीना है और ना ही भविष्य काल में। आपको तो मात्र केवल वर्तमान में जीना होगा। यानी जब आपको खुशी का मौका मिले तो आप उस खुशी का भरपूर लाभ उठाएँ। और दुख के समय में भी छोटी छोटी खुशियों की तलाशने की कौशिश करें ।

    कई लोग कहेंगे की सुख और दुख का समय बराबर नहीं होता ये सब बकवास है तो उनको एक उदाहरण देना चाहता हूँ। सुबह सुबह जब आपको लेट्रिन आती है तो उसी समय अगर पहले से कोई लेट्रिन में बैठा है तो , तो उसके लिए वो सुख का समय है और जो बाहर पेट पकड़कर बैठा है, और अपनी  बारी का इंतजार कर रहा है।

    दोस्तो अब दोनों इन्सानों का मानसिक समय अलग अलग चलेगा। जबकि भौतिक समय एक ही रहेगा। बाहर वाला आवाज लगा रहा है। की भाई जलदी आ , बहुत तेजी से लगी है। अंदर वाला कहता है की बस पाँच मिंट में आया। दोस्तों अब ये पाँच मिंट अंदर बैठे इंसान के लिए दो मिंट के बराबर लगती है। जबकि यही पाँच मिंट बाहर बैठे इंसान को 20 मिंट के बराबर लगती है। जबकि घड़ी के हिसाब से दोनों का पाँच मिंट बराबर है । जबकि शारीरिका और मानसिक परिस्थिती के अनुसार दोनों को यही समय अलग अलग महसूस हो रहा है। कहने का अर्थ है सुख का समय छोटा मालूम होता है जबकि दुख का समय लंबा मालूम होता है।

    तो दोस्तों वर्तमान समय में आपके दिन कैसे चल रहे है,कमेंट करके बताएं। अगर आपको कोई दुख नहीं है। तो इसका अर्थ है की आपके सुख के दिन चल रहे है। आपको खुशियों को तलाशने की जरूरत है। आप छोटी छोटी खुशियों का मजा लेने की कौशिश करें। तो दोस्तों मिलते है अगली post में एक नए टोपिक के साथ, तब तक के लिए जय हिन्द जय भारत दोस्तों।जीवन में दुखों का अंत कब होगा

    मधुमक्खी का सपना देखना Bee dreaming

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